रहीम के दोहे अर्थ सहित ।।Rahim ke Dohe hindi meaning।।रहीम जी के नीतिपरक दोहे।।Rahim ji ka jeewan parichy

       दोस्तो, आज हम इस आलेख के माध्यम से रहीम दास Rahim Das (रहीम - कवि ) जी के जीवन परिचय(जन्म- मृत्यु)(Who is Rahim) , रहीम दास के गुरु (Rahim ke guru) ,रहीम जी का साहित्यिक परिचय(Rahim ji ka sahityik parichay), रहीम जी की प्रमुख रचनाएँ, (Rahim ki pramukh rachane)रहीम दास जी की नीतिपरक दोहे अर्थ सहित जो कि विभिन्न वर्गों   तथा विभिन्न पाठ्यक्रम  (जैसे Class 7,Class 8 Class 9) में  पढ़ाए गए है , उनकी  विस्तृत जानकारी देने जा रहा हुँ ।



रहीम दास जी का जीवन परिचय( Rahim das ji ka jeewan parichay):-


रहीम दास(Rahim das) जी का जन्म 17 दिसंबर 1556 में दिल्ली(delhi) में हुआ था उस समय  मुगल साम्राज्य में हुमायूं का  शासन था । रहीम दास का नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था लेकिन वे कवि (Kavi)के रूप में रहीम के नाम से काफी विख्यात है । रहीम के पिता का नाम कोहिनूर( रहीम के पिता को बैरम खां खान-ए- खाना की उपाधि प्राप्त थी) था जो कि उस समय अकबर के शिक्षक तथा अभिभावक भी थे ।रहीम के माता का नाम  सुल्ताना बेगम थी।


जब रहीम पांच वर्ष के थे तभी  उनके  पिता की मृत्यु हो गयी थी इन्हें अकबर ने अपने पुत्र की तरह पाला था तथा इनकी शिक्षा
बाबा जंबूर की देख रेख में हुआ और शिक्षा प्राप्ति के बाद इनकी शादी हुई ।रहीम के पत्नी का नाम माहबानो था । रहीम जी का विवाह लगभग तेरह साल की उम्र में हुआ था तथा इनकी दस संताने थी ।


रहीम जी अपनी प्रतिभा की वजह से अकबर के दरबार मे मीर अर्ज  का पद पाया था जिसका मतलब  था वह जनता तथा सम्राट दोनों के विश्वसनीय थे ।कहा जाता है को अकबर के पुत्र की पढ़ाई में रुचि नही था तो अंतिम में रहीम जी को ही  उसका अतालिक(देख- रेख) नियुक्त किया गया ।


रहीम(Rahim) जी ने अवधि और ब्रज भाषा दोनों में ही कविता की है जो बहुत ही सरल और स्वभाविक है जिसकी वजह से आज भी उनकी कविता सभी के गले का कंठहार बना हुआ है ।


रहीम (Rahim)जी के काव्य में
श्रृंगार , शांत, तथा हास्य मिलते है ।दोहा ,सोरठा,बरवै, सवैया तथा कवित उनके प्रिय छंद है । रहीम जी के काव्य  में भाषा सरल होने के साथ- साथ  भक्ति, नीति,प्रेम, श्रृंगार, का बहुत ही सुंदर समावेश  मिलता है । रहीम जी के ब्रज भाषा की भी रचना सरल एवं स्पष्ट है । रहीम जी अपनी  रचना में अवधि भाषा को भी स्थान  दिया है ।


  • इनके बारे में भी जाने

कबीर जी का जीवन परिचय और प्रसिद्ध दोहे हिंदी ,English अर्थ सहित

 ( कबीर जी का जीवन परिचय और प्रसिद्ध दोहे हिंदी ,English अर्थ सहित )



रहीम जी की प्रमुख रचना में 
रहीम दोहावली, बरवै, नायिका भेद, रास पंचाध्यायी, मदनाष्टक, नगर शोभा आदि है ।


रहीम(Rahim) जी की रचना को सभी पाठ्यक्रम में रखा गया है तो आज हम रहीम दास जी के प्रसिद्ध दोहे को हिंदी -  English में  अर्थ सहित समझने का  प्रयास करेंगे ।


                        1.

     बड़े बड़ाई ना करैं, बड़ो न बोलैं बोल। 

      रहिमन हीरा ना कहै, लाख टका मेरो मोल॥ 


भावार्थ:- रहीम कहते हैं कि जिनमें बड़प्पन होता है, वे अपनी बड़ाई खुद कभी नहीं करते। जैसे हीरा कितना भी मूल्यवान क्यों न हो, कभी अपने मुँह से अपना मूल्य नही बताता ।
Meaning:- Rahim says that those who have greatness never brag about themselves.  Just as a diamond, no matter how valuable it is, never reveals its value through its mouth.


                               2.
        रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
       टूटे -टूटे  फिर ना जुटे, जुटे गाँठ परी जाय।।


भावार्थ:- रहीम कहते हैं कि प्रेम का नाता बहुत ही नाज़ुक होता है ।इसे झटका देकर तोड़ना उचित नहीं होता। यदि  प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है तो फिर इसे मिलाना बहुत ही कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों की भाँती गाँठ पड़ जाती है।
Meaning:- Rahim says that the bond of love is very delicate. It is not appropriate to break it by giving a shock.  If the thread of love is broken once, it is very difficult to reunite it and even if it is reunited, it gets knotted like broken threads.


                                3.
   रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि।
    जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि ।।


भावार्थ:- रहीम कहते है ,बड़ों को देखकर छोटों को कम महत्व  नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे जहाँ  सुई का काम होता है वहाँ तलवार नहीं कर सकता ।
Meaning:- Rahim says that one should not give less importance to the younger ones after looking at the elders.  Because where the work of the small is done, the big cannot do anything there.  Just as a sword cannot do work where a needle is used.


                              4.


रहिमन वे नर मर चुके, जे कहुँ माँगन जाहिं। 
उनते पहिले वे मुए, जिन मुख निकसत नाहिं॥ 


भावार्थ:- रहीम कहते हैं कि जो मनुष्य भीख माँगने की स्थिति में आ गया अर्थात् जो कहीं माँगने जाता है, वह मरे हुए के समान है मानो वह मर ही गया है लेकिन जो व्यक्ति माँगने वाले को किसी वस्तु के लिए ना करता है अर्थात मना कर  देता है, वह माँगने वाले से भी पहले मरे हुए के समान है।
Meaning:- Rahim says that the person who has come to the stage of begging, that is, the one who goes somewhere to beg, is as if he is dead, but the person who does not refuse anything to the person who begs, i.e. refuses.  If someone does it, he is as good as dead even before the one who asks for it.


                                    5


रहिमन अंसुवा नयन ढरि, जिय दुःख प्रगट करेइ।
  जाहि निकारौ गेह ते, कस न भेद कहि देइ ।।


भावार्थ:- रहीम कहते हैं की आंसू जब नयनों से बहता है तो मन का दुःख प्रकट कर ही देता हैं।ठीक  उसी  तरह यह भी सत्य है कि जिसे घर से निकाला जाएगा वह घर का भेद दूसरों से बता ही देगा।


Meaning:- Rahim says that when tears flow from the eyes, it reveals the sorrow of the mind. In the same way, it is also true that the one who is thrown out of the house will definitely tell the secrets of the house to others.


                                   6
  टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार। 
  रहिमन फिरि फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार॥ 


भावार्थ:- रहीम कहते है कि सज्जन  कितनी ही बार क्यों न  रूठ जाएँ, उन्हें बार-बार मनाना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे मोती की माला अगर टूट जाता है तो उन मोतियों को हमलोग  फेंकते नहीं , बल्कि उन्हें फिर  वापस माला में पिरो लेते हैं।  
Meaning:- Rahim says that no matter how many times a gentleman gets angry, he should be pacified again and again, just like if a pearl necklace breaks, we do not throw away those pearls, rather we string them back into the necklace. 


                                   7

जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह ।

धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह ।।


भावार्थ:- रहीम कहते हैं कि जिस  तरह धरती सर्दी ,गर्मी और वर्षा  सहन करती है ठीक  उसी तरह हमे भी  इस देह पर जो भी पीड़ा सुख-दुःख के रूप में  पड़ती है उसे धरती के तरह सहन करनी चाहिए ।

Meaning:- Rahim says that just as the earth tolerates cold, heat and rain, in the same way we should also tolerate whatever pain, happiness and sorrow falls on this body like the earth.


                                       8


   खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।।               रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥

भावार्थ:- रहीम जी कहते है की खैर (कथा का दाग), खून( रक्त) , खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्यार और शराब का नशा तो सारी दुनिया जानती है । इन बातों को न तो छुपाया जाता है और न ही छुपाया जा सकता है।

Meaning:- Rahim ji says that the whole world knows about the taint of the story, blood, cough, happiness, enmity, love and the intoxication of alcohol.  These things can neither be hidden nor can they be hidden.
                                    9

वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग।

बाँटनवारे को लगै, ज्यौं मेंहदी को रंग॥

भावार्थ:-रहीम जी कहते है वे पुरुष धन्य हैं जो दूसरों का उपकार करते हैं और वैसे पुरूष की ख्याति(प्रसिद्धि) भी उनपे रंग की तरह उकर आता है जैसे कि मेंहदी बांटने वाले को अलग से रंग लगाने की जरूरत नहीं होती।


Meaning:- Rahim ji says that those men are blessed who help others and the fame of such a man also appears on them like a color, just as the person who distributes henna does not need to apply the color separately.


10

      रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर |
       जब नाइके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर ||

भावार्थ :- रहीम जी  कहते है की किसी भी मनुष्य को ख़राब समय आने पर चिंता नहीं करनी चाहिये क्योंकि अच्छा समय आने में देर नहीं लगती और जब अच्छा समय आता हैं तो सभी काम अपने आप होने लगते हैं।


Meaning:- Rahim ji says that no person should worry about bad times because good times do not take long to come and when good times come, all the work starts getting done automatically.

    11

बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय।

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय।।


भावार्थ :-  रहीम जी कहते है मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना  बहुत ही कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं बनाया जा सकता है ।


Meaning:- Rahim ji says that a person should behave thoughtfully, because if for some reason a thing goes wrong then it is very difficult to make it, like once milk curdles, even after trying hard, it cannot be churned into butter.  can be made .


12


जो बड़ेन को लघु कहें, नहीं रहीम घटी जाहिं।

गिरधर मुरलीधर कहें, कछु दुःख मानत नाहिं।।

भावार्थ: रहीम जी का कहना हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का कभी बड़प्पन नहीं घटता, जैसे  गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कभी कमी नहीं होती है ।

Meaning: Rahim ji says that calling an elder small never diminishes the greatness of an elder, just as calling Giridhar (Krishna) Muralidhar never diminishes his glory.


13


खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय।

रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय।।


भावार्थ :- रहीम जी कहते है खीरे का कडुवापन दूर करने के लिए उसके ऊपरी सिरे को काटने के बाद नमक लगाकर घिसा जाता है उसी तरह  कड़ुवे मुंह वाले के लिए (कटु वचन बोलने वाले के लिए) भी  इसी तरह की  सजा ठीक है।


Meaning:- Rahim ji says that to remove the bitterness of a cucumber, after cutting its upper end, it is rubbed with salt. Similarly, similar punishment is appropriate for a person with a bitter mouth (for someone who speaks harsh words.


     14

दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं।

जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं।।


भावार्थ :-  रहीम जी कहते है कौआ और कोयल दोनों  रंग में एक समान होते हैं और जब तक ये बोलते नहीं तब तक इनकी पहचान नहीं हो पाती  ,परंतु जब वसंत ऋतु आती है तो कोयल की मधुर आवाज़ से दोनों का अंतर स्पष्ट हो जाता है ।


Meaning :- Rahim ji says that crow and cuckoo are similar in color and unless they speak, they cannot be identified, but when spring comes, the difference between the two becomes clear by the sweet voice of the cuckoo. 


15


रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।

सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय।।


भावार्थ:- रहीम कहते हैं की अपने मन के (व्यथा )दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए , किसी के सामने प्रकट नही करना चाहिए क्योंकि  दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठलाते है  उसे बाँट कर कम करने की कोशिश नही करते ।


Meaning:- Rahim says that one should keep one's sorrow hidden within one's heart and should not reveal it to anyone because after hearing the sorrow of others, people flaunt it and do not try to reduce it by sharing it.

     16

रहिमन विपदा हू भली, जो थोरे दिन होय।

हित अनहित या जगत में, जान परत सब कोय।।

भावार्थ :- रहीम जी कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय के लिए आती है तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।


Meaning :- Rahim ji says that if adversity comes for some time then it is also fine, because only in adversity we can know about everyone, who is our well-wisher in the world and who is not.


17


ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों।

तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै।।

भावार्थ:- रहीम जी कहते है ओछे मनुष्य का साथ छोड़ देना चाहिए उसके साथ रहने से  हर अवस्था में उससे हानि होती है – जैसे अंगार जब तक गर्म रहता है तब तक शरीर को जलाता है और जब ठंडा कोयला हो जाता है तब भी शरीर को काला ही करता है।


Meaning:- Rahim ji says that one should leave the company of a cheap person. Staying with him causes harm in every situation - just like an ember burns the body as long as it remains hot and even when it becomes cold coal, it harms the body.  Only black does.


18


वृक्ष कबहूँ नहीं फल भखैं, नदी न संचै नीर

परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर ।।


भावार्थ :- रहीम जी कहते है  वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते, नदी भी जल को कभी अपने लिए संचित नहीं करती ठीक उसी प्रकार सज्जन पुरुष परोपकार के लिए देह धारण करते हैं ।


Meaning:- Rahim ji says that trees never eat their fruits, even rivers never store water for themselves, in the same way a gentleman takes up his body for charity.

           19

लोहे की न लोहार की, रहिमन कही विचार जा

हनि मारे सीस पै, ताही की तलवार।।

भावार्थ :- रहीम कहते हैं कि तलवार न तो लोहे की कही जाएगी न लोहार की, तलवार उस वीर की कही जाएगी जो वीरता से शत्रु के सर पर मार कर उसके प्राणों का अंत कर देता है।


Meaning :- Rahim says that the sword will neither be said to be made of iron nor of the blacksmith, the sword will be said to be of that brave man who bravely hits the enemy on his head and ends his life.


20

रहिमन नीर पखान, बूड़े पै सीझै नहीं

तैसे मूरख ज्ञान, बूझै पै सूझै नहीं।।

भावार्थ :- रहीम कहते है कि जिस प्रकार जल में पड़ा होने पर  भी पत्थर नरम नहीं होता उसी प्रकार मूर्ख व्यक्ति की भी अवस्था होती है ज्ञान दिए जाने पर भी उसकी समझ में कुछ नहीं आता ।


Meaning :- Rahim says that just as a stone does not become soft even if it lies in water, similarly the condition of a foolish person is that even after being given knowledge, he does not understand anything.


21


संपत्ति भरम गंवाई के हाथ रहत कछु नाहिं

ज्यों रहीम ससि रहत है दिवस अकासहि माहिं।।

भावार्थ :- रहीम जी कहते है जिस प्रकार दिन में चन्द्रमा आभाहीन हो जाता है उसी प्रकार जो व्यक्ति किसी व्यसन में फंस कर अपना धन गँवा देता है वह निष्प्रभ हो जाता है।


Meaning :- Rahim ji says that just as the moon becomes lackluster during the day, similarly a person who loses his money by getting trapped in an addiction becomes ineffective.


22


वरू रहीम  कानन भल्यो वास करिय फल भोग

बंधू मध्य धनहीन ह्वै, बसिबो उचित न योग।।

भावार्थ : रहीम जी कहते हैं कि निर्धन होकर बंधु-बांधवों के बीच रहना उचित नहीं होता  है इससे अच्छा तो यह है कि वन मैं जाकर रहें और फलों का भोजन करें।


Meaning: Rahim ji says that it is not right to be poor and live among relatives, it is better to go to the forest and eat fruits.


23


साधु सराहै साधुता, जाती जोखिता जान

रहिमन सांचे सूर को बैरी कराइ बखान।।

भावार्थ :-  रहीम  कहते हैं कि अपने प्रकृति के अनुरूप  साधु सज्जन की प्रशंसा करता है  योगी  योग की प्रशंसा करता है परन्तु विपरीत होते हुए भी एक सच्चे वीर के शौर्य की प्रशंसा उसके शत्रु भी करते हैं।


Meaning :- Rahim says that according to his nature, a saint praises a gentleman, a yogi praises yoga, but despite the contrary, the bravery of a true warrior is also praised by his enemies.


24


रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय

भीति आप पै डारि के, सबै पियावै तोय।।

भावार्थ :-  रहीम कहते हैं कि उस व्यवहार की सराहना  हमेशा की जानी चाहिए जो घड़े और रस्सी के व्यवहार के समान हो क्योंकि घडा और रस्सी स्वयं जोखिम उठा कर दूसरों को जल पिलाते हैं जब घडा कुँए में जाता है तो रस्सी के टूटने और घड़े के टूटने का खतरा तो रहता ही है।


Meaning :- Rahim says that that behavior should always be appreciated which is similar to the behavior of the pitcher and the rope because the pitcher and the rope take the risk themselves to give water to others. When the pitcher goes into the well, then the rope breaks and the pitcher is destroyed.  There is always a risk of breakage.


25


निज कर क्रिया रहीम कहि सीधी भावी के हाथ

पांसे अपने हाथ में दांव न अपने हाथ ।।

भावार्थ :- रहीम कहते हैं कि अपने हाथ में तो केवल कर्म करना ही होता है सिद्धि तो भाग्य से ही मिलती है जैसे चौपड़ खेलते समय पांसे तो अपने हाथ में रहते हैं पर दांव क्या आएगा यह अपने हाथ में नहीं होता ।


Meaning :- Rahim says that only the work is in one's hands, success is achieved only by luck, just like while playing Chaupar, the dice are in one's hand but it is not in one's hands what the bet will be.


26


राम न जाते हरिन संग से न रावण साथ

जो रहीम भावी कतहूँ होत आपने हाथ।।

    भावार्थ : रहीम जी का  कहना हैं कि जो (होनहार )होना है उस पर हमारा बस नही होता और उसे हम होने से रोक भी नही सकते जैसे कि राम स्वर्ण हिरन के पीछे गए और  रावण सीता का हरण करके लंका ले  गया  ।


Meaning: Rahim ji says that we have no control over what is going to happen and we cannot stop it from happening, like Ram went after the golden deer and Ravana went after the golden deer and abducted Sita.


27


तासों ही कछु पाइए, कीजे जाकी आस

रीते सरवर पर गए, कैसे बुझे पियास।।

भावार्थ :-  रहीम जी कहते है कि जिससे कुछ पा सकें, उससे ही किसी वस्तु की आशा करना उचित है, क्योंकि पानी से रिक्त तालाब से प्यास बुझाने की आशा करना व्यर्थ है ।


Meaning :- Rahim ji says that it is appropriate to expect something only from someone from whom we can get something, because it is futile to expect to quench thirst from a pond that is empty of water.


28


पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।

अब दादुर वक्ता भए, हमको पूछे कौन।।

भावार्थ :- रहीम जी का कहना  है कि कुछ अवसर ऐसे आते हैं जब गुणवान को चुप रह जाना पड़ता है। उनका कोई आदर नहीं करता और गुणहीन वाचाल व्यक्तियों का ही बोलबाला हो जाता है जैसे वर्षा ऋतु में कोयल मौन साध लेता है और  मेंढक बोलने लगते  हैं ।


Meaning:- Rahim ji says that some occasions come when the virtuous have to remain silent.  No one respects them and only the talkative people without good qualities become dominant, just as the cuckoo becomes silent during the rainy season and the frogs start speaking.


29


जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।

चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।।

भावार्थ :-  रहीम कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं,उनको बुरी संगति भी कुछ नही बिगाड़  पाती जैसे जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते।


Meaning :- Rahim says that even bad company cannot do any harm to people who are of good nature, just like poisonous snakes are not able to have any poisonous effect on a sandalwood tree even if they cling to it.


30


चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।

जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥


भावार्थ :- रहीम जी कहते है जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं , क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है


Meaning :- Rahim ji says that those who do not want anything are the kings of kings, because they neither want anything nor worry and their mind is completely careless.


****************************************

इसे भी देखे

कबीर जी का जीवन परिचय और प्रसिद्ध दोहे हिंदी ,English अर्थ सहित



इस लेख के माध्यम से मैने रहीम जी के जीवन परिचय से लेकर रहीम जी की रचनाएं और दोहो को अर्थ सहित समाहित करने का कोशिश किया हुँ । आशा करता हुँ यह लेख ( रहीम जी) आपको पसंद आएगा । पढ़ने के बाद आप अपना कीमती राय जरूर दे । 

धन्यवाद





















टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Sanskrit shlokas with Hindi and English meaning | संस्कृत श्लोक हिंदी और अंग्रेजी अर्थ सहित

पठ धातु रूप -पांचो लकार में उदाहरण के साथ ।।path dhatu roop panch lakar anuwad in sanskrit

Sanskrit shlok ka jeewan me mahatva || संस्कृत श्लोक का जीवन में महत्व