Sanskrit shlokas with Hindi and English meaning | संस्कृत श्लोक हिंदी और अंग्रेजी अर्थ सहित
मैं संस्कृत(Sanskrit) श्लोक पोस्ट कर रहा हुँ क्योंकि संस्कृत (Sanskrit) में श्लोक का स्थान बहुत ही महत्वपूर्ण है । संस्कृत (Sanskrit)को सभी भाषाओ के जननी माना जाता है, संस्कृत (Sanskrit)दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है, संस्कृत (Sanskrit)भाषा की महानता संस्कृत की श्लोक (Sanskrit ke achhe slokas) से है देश में संस्कृत(Sanskrit) भाषा को देव भाषा की उपाधि भी दिया गया है पुराने समय से ही संस्कृत श्लोको(Sanskrit shlokas) के आधार पर मानव रहा है।
इस आलेख के माध्यम से आप प्रेरणादायक श्लोक,चाण्क्य नीति श्लोक(Chanakya niti shlokas), भर्तृहरी श्लोक(Bhartrihari shlokas), नीतिषतकम के श्लोक(Niti shatkam shlokas) रामायण के कुछ श्लोक(Ramayan shlokas), कर्म पर कुछ श्लोक(Karma shlokas) , परोपकार पर कुछ श्लोक(paropkar shlokas),घमंड पर श्लोक(Ghamand shlokas) तथा वीरता पर कुछ श्लोक समाहित है,जिसे पढ़कर आप जीवन बदलने की कोशिश कर सकते है ।
अगर आप भारतीय है तो आपको संस्कृत श्लोक (Sanskrit Shlokas) का ज्ञान अवश्य होना चाहिए मनुष्य जाती के लिए संस्कृत हमारे जीवन का एक अनमोल हिस्सा रहा है पुराने समय से ही ऋषि-मुनियों ने संस्कृत भाषा (sanskrit slokas) में बेहतरीन श्लोक लिखे है। जिसमे जीवन का सार है पहले इसी के माध्यम से गुरुकुल में पढ़ाया जाता था और उसी को राजा - महाराजा अपने दैनिक जीवन में उपयोग किया करते थे । राजा - महाराजा अपने राज काज और न्याय के लिए अपने इसी श्लोक के आधरित ज्ञान का उपयोग किया करते थे । इस श्लोक के आधार पर आप जीवन के जीने का तरीका सिख सकते है ।
आज इस संस्कृत श्लोक (Sanskrit shlokas)के माध्यम से बहुत कुछ सिख सकते है और अपने जीवन जीने की दिनचर्या में बदलाव लाकर जीवन सफल कर सकते है ।
आप इस श्लोक के माध्यम से ये सब चीजे सिख सकते है ।
Table of Content :-
1)जीवन जीने की कला और लोगों के बीच में कैसा बर्ताव करना है ।
2) विद्या का क्या महत्व है और विद्वान किन वजहों से पूजा जाता है ?
3) साधु किसे कहते है ,साधु की संगति क्यो महत्वपूर्ण है ?
5) धर्म क्या है, धर्म का क्या महत्व है ।
6)विद्वान कौन है,उसको सभी जगह क्यो पूजा जाता है ?
7) जीवन मे सफलता के सूत्र क्या है ?
8) राजा कौन है और उसकी क्या परिभाषा है ।
प्रमुख संस्कृत श्लोक (Popular Sanskrit Shlokas)
शुभ प्रभात श्लोक (Good Morning Shlokas)
सत्य श्लोक (Satya Slokas)
प्रमुख संस्कृत श्लोक (Best Sanskrit Shlokas)
संस्कृत श्लोक हिन्दी (Sanskrit Shloka in Hindi)
short sanskrit shlok with meaning
संस्कृत श्लोक (sanskrit shloka)
Sanskrit shlokas with Hindi and English meaning
1
विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् ।।
अर्थ :-विद्या हमें विनम्रता प्रदान करती है। विनम्रता से योग्यता आती है व योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है और इस धन से हम धर्म के कार्य करते है और तब हम सुखी रहते है।
Meaning :- Knowledge gives us humility. With humility comes merit and with merit we get wealth and with this wealth we do religious work and then we remain happy.
2
स्वगृहे पूज्यते मूर्खः स्वग्रामे पूज्यते प्रभुः।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्सर्वत्र पूज्यते ॥
अर्थ: -एक मुर्ख की पूजा उसके घर में होती है,और एक मुखिया की पूजा उसके गाँव में होती है, राजा की पूजा उसके राज्य में होती है और एक विद्वान की पूजा सभी जगह पर होती है।
Meaning:- A fool is worshiped in his house, and a chieftain is worshiped in his village, a king is worshiped in his kingdom and a scholar is worshiped everywhere.
3
दुर्जन:स्वस्वभावेन परकार्ये विनश्यति।
नोदर तृप्तिमायाती मूषक:वस्त्रभक्षक: ॥
अर्थ :-दुष्ट व्यक्ति का स्वभाव ही दूसरे के कार्य बिगाड़ने का होता है।जैसे वस्त्रों को काटने वाला चूहा कभी भी पेट भरने के लिए कपड़े नहीं काटता।
Meaning :- The nature of a wicked person is to spoil the work of others. Like a rat that bites clothes never cuts clothes to fill its stomach.
4
मूर्खा यत्र न पूज्यते धान्यं यत्र सुसंचितम्।
दंपत्यो कलहं नास्ति तत्र श्रीः स्वयमागतः ॥
अर्थ : - जहाँ मूर्ख को सम्मान नहीं मिलता हो, जहाँ अनाज अच्छे तरीके से रखा जाता हो और जहाँ पति-पत्नी के बीच में लड़ाई नहीं होती हो, वहाँ लक्ष्मी खुद आ जाती है।
Meaning :- Where the fool is not respected, where the grains are kept in a good manner and where there is no fight between husband and wife, there Lakshmi herself comes.
5
भूमे:गरीयसी माता,स्वर्गात उच्चतर:पिता।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गात अपि गरीयसी ॥
अर्थ :- भूमि से श्रेष्ठ माता है, स्वर्ग से ऊंचे पिता हैं। किन्तु माता और मातृभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ हैं।
Meaning :- Mother is better than earth, father is higher than heaven. But mother and motherland are better than heaven.
6
काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां।
व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा ॥
अर्थ :- बुद्धिमान लोग काव्य-शास्त्र का अध्ययन करने में अपना समय व्यतीत करते हैं। जबकि मूर्ख लोग निद्रा, कलह और बुरी आदतों में अपना समय बिताते हैं।
Meaning :- Intelligent people spend their time in studying poetry. Whereas foolish people spend their time in sleep, discord and bad habits.
7
सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग्भवेत् ॥
अर्थ :- संसार में सभी सुखी हो, निरोगी हो, शुभ दर्शन हो और कोई भी ग्रसित ना हो।
Meaning :- May everyone in the world be happy, healthy, have auspicious vision and no one should be afflicted.
8
पृथ्वियां त्रीणि रत्नानि जलमन्नम सुभाषितं।
मूढ़े: पाधानखंडेषु रत्नसंज्ञा विधीयते ॥
अर्थ: - पृथ्वी पर तीन प्रकार के रत्न हैं- जल,अन्न और शुभ वाणी लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकड़ों को रत्न की संज्ञा देते हैं।
Meaning:- There are three types of gems on earth- water, food and auspicious speech but foolish people give the name of stone pieces as gems.
9
आयुर्वित्तं गृहच्छिद्रं मन्त्रमैथुनभेषजम्। दानमानापमानं च नवैतानि सुगोपयेत् ॥
अर्थ :- हर व्यक्ति को अपनी आयु, गृह के दोष, मैथुन, मन्त्र, धन, दान, औषधि, मान-सम्मान, अपने अपमान, अपनी योग्यता को हमेशा सभी से छुपाकर ही रखना चाहिए अन्यथा कभी भी नुकसान झेलना पड़ सकता है।
Meaning :- Every person should always keep his age, defects of the house, sexual intercourse, mantras, money, charity, medicine, respect, his insults, his ability hidden from everyone, otherwise he may have to face loss at any time.
10
न विना परवादेन रमते दुर्जनोजन:।
काक:सर्वरसान भुक्ते विनामध्यम न तृप्यति ।।
अर्थ :- लोगों की निंदा किये बिना दुष्ट व्यक्तियों को आनंद नहीं आता। जैसे कौवा सब रसों का भोग करता है। परंतु गंदगी के बिना उसकी तृप्ति नहीं होती।
Meaning :- Wicked people do not enjoy without condemning people. Like a crow enjoys all the juices. But without filth it is not satisfied.
11
शैले शैले न माणिक्यं,मौक्तिम न गजे गजे।
साधवो न हि सर्वत्र,चंदन न वने वने।।
अर्थ : -जिस प्रकार प्रत्येक पर्वत पर अनमोल रत्न नहीं होते, प्रत्येक हाथी के मस्तक में( गज मुक्ता) मोती नहीं होता। उसी प्रकार सज्जन लोग सब जगह नहीं होते और प्रत्येक वन में चंदन नही पाया जाता।
Meaning: Just as there are no priceless gems on every mountain, there is no pearl in the head of every elephant. Similarly, gentlemen are not everywhere and sandalwood is not found in every forest.
12
विद्वत्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।
स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते ॥
अर्थ :- एक विद्वान और राजा की कभी कोई तुलना नहीं की जा सकती है, क्योंकि राजा तो केवल अपने राज्य में सम्मान पाता है वही एक विद्वान हर जगह सम्मान पाता है।
Meaning :- There can never be any comparison between a scholar and a king, because a king gets respect only in his kingdom, whereas a scholar gets respect everywhere.
13
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये।
पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्द्धनम् ॥
अर्थ :- मूर्खों को दिया हुआ उपदेश उनके क्रोध को और बढ़ाता है शांत नहीं करता। जिस प्रकार साँपों को पिलाया हुआ दुध हमेशा उनका विष ही बढ़ाता है ।
Meaning :- The advice given to fools increases their anger and does not calm them down. Just as milk fed to snakes always increases their poison.
14
यस्य नास्ति स्वयं प्रज्ञा, शास्त्रं तस्य करोति किं ।
लोचनाभ्याम विहीनस्य, दर्पण:किं करिष्यति ॥
अर्थ :- जिस व्यक्ति के पास स्वयं का विवेक नहीं है,उसका शास्त्र क्या करेगा ?जैसे जिसे स्वयं नेत्र नही है उसे दर्पण क्या करेगा ?
Meaning :- What will the scriptures do to the person who does not have his own discretion? Like what will the mirror do to the one who does not have his own eyes?
15
हस्तस्य भूषणम दानम, सत्यं कंठस्य भूषणं ।
श्रोतस्य भूषणं शास्त्रम,भूषनै:किं प्रयोजनम ।।
अर्थ :- हाथ का आभूषण दान है, गले का आभूषण सत्य है, कान की शोभा शास्त्र सुनने से है,फिर अन्य आभूषणों की आवश्यकता ही क्या है?
Meaning :- The ornament of the hand is charity, the ornament of the neck is truth, the ear is adorned by listening to scriptures, then what is the need of other ornaments?
16
येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ॥
अर्थ :- जिस मनुष्यों में न विद्या का निवास है, न मेहनत का भाव, न दान की इच्छा और न ज्ञान का प्रभाव, न गुणों की अभिव्यक्ति और न ही धर्म पर चलने का संकल्प, वे मनुष्य नहीं वे मनुष्य रूप में जानवर मृग के समान ही धरती पर विचरते हैं।
Meaning :- The humans in whom there is no knowledge, no sense of hard work, no desire for charity and no influence of knowledge, no expression of virtues and no resolution to follow religion, they are not humans, they are animals in human form like deer. The same wander on the earth.
17
विद्या मित्रं प्रवासेषु,भार्या मित्रं गृहेषु च ।
व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥
अर्थ :- विदेश में ज्ञान, घर में अच्छे स्वभाव और गुण स्वरूप पत्नी और ओषधि रोगी का तथा धर्म मृतक का सबसे बड़ा मित्र होता है।
Meaning :- Knowledge abroad, good nature and virtues at home, wife and drug patient and religion is the biggest friend of the dead.
18
आपदर्थे धनं रक्षेद् दारान् रक्षेद् धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि ॥
अर्थ :- विपत्ति के समय के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए । धन से अधिक रक्षा पत्नी की करनी चाहिए । किन्तु अपनी रक्षा का प्रश्न सम्मुख आने पर धन और पत्नी का बलिदान भी करना पड़े तो नहीं चूकना चाहिए ।
Meaning :- Money should be saved for the time of calamity. Should protect wife over money . But if you have to sacrifice money and wife when the question of your protection comes in front, you should not miss it.
19
आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्।
सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥
अर्थ :- आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है । बोली से देश का पता लगता है । आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है ।
Meaning :- Conduct gives the introduction of a person's clan. The country is known by the dialect. One can know about love by showing respect and by looking at one's body one can know about one's food.
20
रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ॥
अर्थ :- रूप और यौवन से सम्पन्न होकर तथा उच्च कुल में उत्पन्न होकर भी मनुष्य को विधा के बिना शोभा नही देता जिस प्रकार पलाश के फूल सुंदर होते हुए भी देवमस्तक पर नही चढ़ता ।।
Meaning :- Despite being endowed with beauty and youth and being born in a high clan, it does not suit a man without discipline, just as the flowers of Palash, despite being beautiful, do not climb on the head of God.
21
अति रूपेण वै सीता अतिगर्वेण रावणः।
अतिदानाद् बलिर्बद्धो ह्यति सर्वत्र वर्जयेत्॥
अर्थ :-अधिक सुन्दरता के कारण ही सीता का हरण हुआ था, अति घमंडी हो जाने पर रावण मारा गया तथा अत्यन्त दानी होने से राजा बलि को छला गया । इसलिए अति सभी जगह वर्जित है ।
Meaning :- Sita was abducted because of her beauty, Ravana was killed for being too proud and King Bali was tricked for being very charitable. That's why extreme is prohibited everywhere.
22
को हि भारः समर्थानां किं दूर व्यवसायिनाम्।
को विदेश सुविद्यानां को परः प्रियवादिनम्॥
अर्थ :- सामर्थ्यवान व्यक्ति को कोई वस्तु भारी नहीं होती । व्यपारियों के लिए कोई जगह दूर नहीं होती । विद्वान के लिए कहीं विदेश नहीं होता तथा मधुर बोलने वाले का कोई पराया नहीं होता ।
Meaning :- Nothing is heavy for a capable person. No place is far away for traders. There is no foreign country for the scholar and there is no stranger to the sweet speaker.
23
यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥
अर्थ :- जिस प्रकार सोने की परीक्षा घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकार से होती है, ठीक इसी प्रकार मनुष्य की परीक्षा त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से होती है ।
Meaning :- Just as gold is tested by rubbing, cutting, heating and beating in these four ways, in the same way a man is tested by renunciation, modesty, virtues and deeds.
संस्कृत श्लोक को हिंदी और अंग्रेजी (English) दोनों भाषा मे अनुवाद कर दिया गया है । यह श्लोक कैसा लगा comment करके जरूर बताए ।
पढ़ने के लिए धन्यवाद ।।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें