हिंदी वर्णमाला।।अ, आ, इ, ई ।।बराखड़ी।।अ से ज्ञ तक।।
इस आलेख में वर्णमाला तथा स्वरवर्ण, व्यंजनवर्ण को शुरआत में समझाने की कोशिश किये है । उसके बाद अ से ज्ञ तक और कुछ वर्णमाला से FAQ
दोस्तो आज इस आलेख में हम अ से ज्ञ तक हिंदी अंग्रेजी में लिखने का कोशिश किए है । बराखड़ी भी लिखने का कोशिश किये है जिसमे कुछ को छोड़ भी दिए है परंतु आशा करता हु यह आलेख आपको पसंद आएगा ।
हिंदी वर्णमाला
वर्ण :- हिंदी भाषा मे लिखित सबसे छोटी इकाई वर्ण कहलाती है , दूसरे शब्दों में वर्ण वह मूल ध्वनि है जिसका खंड या टुकड़ा न किया जा सके वर्ण कहलाता है। हिंदी व्याकरण में पहले स्वर वर्ण और बाद में व्यंजन वर्ण आते है ।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी लिपि है ।
हिंदी भाषा मे वर्णो के व्यवस्थित समूह को हिंदी वर्णमाला कहते है । हिंदी वर्णमाला (Hindi Varnmala) में वर्णो की कुल संख्या 52 है ।जिनमे 11 अक्षर स्वर (Vowel)और 41 अक्षर व्यंजन (Consonant) होते है ।
यदि लेखन के हिसाब से देखे तो 56 अक्षर होते है ।जिनमे 11 स्वर,41व्यंजन और 4 संयुक्त व्यंजन होते है ।
स्वर की संख्या: 11 (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, ऋ)
अनुस्वार: 1 (अं)
विसर्ग: 1 (अः)
स्पर्शी व्यंजन: 25
क वर्ग - क, ख, ग, घ, ङ,
च वर्ग - च, छ, ज, झ, ञ
ट वर्ग - ट, ठ, ड, ढ, ण
त वर्ग - त, थ, द, ध, न
प वर्ग - प, फ, व, भ म
उष्म व्यंजन: 4 (श, ष, स, ह)
अंतःस्थ व्यंजन: 4 (य’, ‘र’, ‘ल’ और ‘व)
सयुंक्त व्यंजन: 4 (क्ष, त्र, ज्ञ, श्र)
द्विगुण व्यंजन: 2 (ड’ एवं ‘ढ )
स्वर (Vowel) वर्ण क्या है?
हिंदी भाषा के अनुसार स्वर वर्ण वह वर्ण जो बिना किसी व्यंजन के उच्चारण किया जाता है या जिन जिन वर्णो का उच्चारण स्वतंत्र रूप से या बिना बिना रुकावट के किया जाता है उसे स्वर वर्ण कहते है ।
हिंदी वर्णमाला में कुल स्वरों की संख्या 13 (तेरह) है - अ, आ, इ, ई,उ,ऊ,ए,ऐ, ओ,औ, अं, अ:,ऋ ।
हिंदी वर्णमाला में उच्चारण के आधार पर स्वर के तीन भेद होते है ।
1.ह्रस्व स्वर (Hrasva swar) - जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता है उसे ह्रस्व स्वर कहते है ।ह्रस्व स्वर को छोटी स्वर ,लघु स्वर या एकमात्रिक स्वर भी कहते है । ह्रस्व स्वर हिंदी में चार है - अ, इ, उ, ऋ ।
2. दीर्घ स्वर (deergh swar) - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व से दुगुना समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते है । दीर्घ स्वर को बड़ा स्वर या द्विमात्रिक स्वर भी कहते है । हिंदी भाषा मे 7 (सात) दीर्घ स्वर है - आ, ई, ऊ,ए, ऐ,ओ, औ
3.प्लुत स्वर (Plut swar) -जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से अधिक समय लगता है उसे प्लुत स्वर कहते है ।
व्यंजन वर्ण
जिन वर्णो के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है उसे व्यंजन वर्ण कहते है । हिंदी वर्णमाला में व्यंजनों की कुल संख्या 39 है ।
व्यंजन के भेद
1.स्पर्शीय व्यंजन या वर्गीय व्यंजन - वैसा वर्ण जिसका उच्चारण करते समय मुख के किसी न किसी भाग का स्पर्श अवश्य होता है स्पर्शीय व्यंजन कहलाता है । जब स्पर्शीय व्यंजन को पांच भागो में बाँटा जाता है तब उसे वर्गीय व्यंजन भी कहते है ।
क वर्ग (उच्चारण स्थान - कंठ)
च वर्ग ( उच्चारण स्थान - तालू)
ट वर्ग (उच्चारण स्थान - मूर्धा)
त वर्ग ( उच्चारण स्थान - दंत)
प वर्ग ( उच्चारण स्थान - ओष्ठय)
2.अन्तः स्थ व्यंजन - जिन व्यंजन वर्णो के उच्चारण करने में वायु का अवरोध कम हो उसे अन्तः स्थ व्यंजन कहते है । हिंदी वर्णमाला में इनकी संख्या चार है - य, र ,ल, व
3.उष्म व्यंजन या संघर्षी व्यंजन - जिन हिंदी वर्णो का उच्चारण अत्यधिक संघर्ष के साथ होता है तब वह उष्म व्यंजन या संघर्षी व्यंजन कहलाता है ।
हिंदी वर्णमाला में इनकी संख्या भी चार है -- श ,ष,स,ह ।
* हिंदी वर्णमाला में ह को काकलीय व्यंजन भी कहा जाता है ।
* अंस्वार (ं) और विसर्ग (ः) को आयोगवाह वर्ण कहा जाता है ।
* वर्णमाला के प्रत्येक वर्ग के पाँचवे वर्ण के समुह को पंचमाक्षर कहा जाता है । देवनागरी लिपि मे पंचमाक्षर की कुल संख्या पाँच है - ङ,ञ,ण,न,म ।
* दो या दो से अधिक व्यंजन मिलते तो संयुक्त व्यंजन का निर्माण होता है किंतु देवनागरी लिपि में चार को बताया गया है - क्ष, त्र,ज्ञ,श्र ।
अ - ज्ञ तक हिंदी /अंग्रेजी में
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