पत्नी की तारीफ ।। हे प्रियवर तुम चली आना।।पति -पत्नी का प्यार
हे प्रियवर तुम चली आना
हे प्रियवर तुम चली आना
रात की उदासी में,
चाँदनी की उजालो में,
सितारों की चमचमाहट में,
पायलों की झंकार में,
ढूँढ़ती है बस तुम्हें , मेरी नजरें
हे प्रियवर तुम चली आना ।
एहसासों के समुंदर में,
सावन की बरसातों में,
फूलों की खुशबुओं में,
बांसुरी की मधुर तानो में,
ढूँढ़ती है बस तुम्हें , मेरी नजरें
हे प्रियवर तुम चली आना ।
सर्दियों की कपकपाहट में,
चिड़ियों की चहचहाहट में,
भोड़ की सुगबुगाहट में,
अपने प्यार के लफ्जों को
कहते ओठो की थड़थड़ाहट में,
ढूँढ़ती है बस तुम्हें , मेरी नजरें
हे प्रियवर तुम चली आना ।
तुम अविरल अनिश्चल गंगा की बहती
धारा की भाँति चली आना ।
मैं रत्नाकर की भाँति ,आँसु समेटे हुए
एक अधूरापन सा खालीपन सा ,
बहती हवाओं के भँवर में प्रतीक्षारत हूँ।
हे प्रियवर तुम चली आना ।
हे प्रियवर तुम चली आना ।।
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