Maa durga: माँ दुर्गा quotes:Shardiya navratri:माँ दुर्गा पर 1000 शब्दो मे निबंध
नवरात्रि: भारतीय त्योहार के विषय पर 1000 शब्दो मे निबंध
Shardiya navratri wishes in hindi
दुर्गा पूजा(दशहरा ) पर निबंध
दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। दुर्गा पूजा को दुर्गोत्सव या नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।दुर्गा पूजा आश्विन मास में मनाया जाता है और यह उत्सव 10 दिनों तक चलता है । जिसके लिए लोग महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर देते है। दुर्गा पूजा पूरे देश धूम - धाम से मनाया जाता हैं लेकिन दुर्गा पूजा मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा, झारखण्ड, बिहार इत्यादि जगहों पर बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इन 10 दिनों तक श्रद्धालु स्त्रियों व्रत रखती हैं और देवी दुर्गा का पूजन करती हैं।
इसमें माँ दुर्गा के नौ रूपो की पूजा की जाती है ।
माँ दुर्गा के नौ स्वरूप का विस्तार से वर्णन
1 . मां दुर्गा को पहले स्वरूप के रूप में माँ शैलपुत्री के रूप में पूजा जाता है । पहले स्वरूप में माँ दुर्गा का जन्म पर्वतराज हिमालय के यहां पुत्री के रूप में हुआ जिसके कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा । इस रूप में मां दुर्गा दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण करती हैं और इनका वाहन बैल होता हैं।
2.मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप का अर्थ है तप के समान आचरण करने वाली ।इस रूप में माँ दुर्गा के दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमंडल रहता है | इस रूप में इन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी, इसी वजह से ही इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है।
3. माँ दुर्गा को तीसरे स्वरूप में मां चंद्रघंटा के नाम से पूजा की जाती है। माँ दुर्गा का यह स्वरूप शांतिदायक और कल्याणकारी दिखाया गया है इस रूप में माँ के मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र हैं। इसी कारण से इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता हैं। शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं तथा इनके दस हाथ है और दसों हाथों में खड्ग, शास्त्र और वीणा आदि अस्त्र - शस्त्र से विभूषित हैं।
4. माँ दुर्गा के चौथे रूप में भगवती कूष्मांडा की पूजा आराधना की जाती हैं। इस रूप में माँ हल्की मंद मुस्कान के साथ ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण, इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से जाना जाता हैं। कहा जाता है जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब माँ अपने इस कुष्मांडा वाले स्वरूप में अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी वजह से सृष्टि की आदि स्वरूप और आदिशक्ति भी कही जाती हैं।
5. मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है | पुराणों और कथाओं के अनुसार भगवती शक्ति से उत्पन्न हुए सनत कुमार का नाम स्कंद है और उनकी माता होने से स्कंदमाता कहलाती है | भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां का यह दिव्य स्वरूप है औरइस रूप में मां की गोद में भगवान स्कंद जी बाल रूप में बैठे हुए दिखाया गया हैं।
6.माँ दुर्गा के छ्ठे स्वरूप को कात्यायनी के रूप में पूजा जाता है । पुराणों के अनुसार माँ दुर्गा देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए ऋषि कात्यायन के आश्रम पर प्रकट हुई और महर्षि ने इन्हें अपनी कन्या रूप में स्वीकार किया था इसीलिए माता के इस स्वरूप को कात्यायनी के नाम से जाना जाता है।जनश्रुतियों के अनुसार भगवान कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी यमुना के तट पर इन्हीं की पूजा की थी | यह ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित है और इनका स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है।
7. दुर्गा मां की सातवीं स्वरूप को कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। इस स्वरूप में माँ दुर्गा के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह काला हैं और सिर के बाल बिखरे हैं , गले में बिजली की तरह चमकने वाली मुंड मालाएं हैं तथा इनके तीन नेत्र हैं । इस स्वरूप में दुष्टों का संहार करती नजर आती है, इसी स्वरूप में (माँ कालरात्रि) ने ही चंड, मुंड, महिषासुर, रक्तबीज जैसे राक्षसों का सर्वनाश किया था |
8. माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप को महागौरी के नाम से जाना जाता है । कठोर तपस्या के माध्यम से महान गौरव प्राप्त किया था इसलिए मां के स्वरूप को मां महागौरी के नाम से जाना जाता हैं। इस रूप में माँ दुर्गा का वर्ण गौर हैं , वाहन वृषभ है। इनके बाए हाथ में डमरु और दाएं हाथ में वर मुद्रा हैं तथा यह शांत रूप में भक्तों को दर्शन देती हैं।
9. मां दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं।इस स्वरूप में माँ दुर्गा सभी तरह की सिद्धियां देती हुई दिखायी देती है। मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप में चार भुजाओं वाली है और इनका वाहन सिंह है। यह कमल पुष्प पर आसीन रहती हैं और बाएं हाथ में शंख और दाएं हाथ में कमल पुष्प हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
दुर्गा पूजा से जुड़ीं किवदंती (कहानी)
पुराणों के अनुसार , महिषासुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था, जो पहले ही देवताओं पर स्वर्ग पर आक्रमण कर चुका था और देवताओं को पराजित भी किया वह बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके कारण उसे कोई नहीं हरा सकता था। तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के द्वारा एक आन्तरिक शक्ति का निर्माण किया गया, जिनका नाम दुर्गा (एक दस हाथों वाली और सभी हाथों में विशेष हथियार धारण करने वाली अद्भुत नारी शक्ति) कहा गया। उन्हें राक्षस महिषासुर का विनाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी - अपनी कुछ आन्तरिक शक्ति प्रदान की और माँ दुर्गा ने उस महिषासुर नाम के राक्षस से दस दिनों तक युद्ध किया और अन्त में, उन्होंने दसवें दिन राक्षस को मार दिया और उस दिन को दशहरा या विजयादशमी के रुप में कहा जाता है।
दुर्गा पूजा की दूसरी किंवदंती(कहानी) के अनुसार , रामायण में एक प्रसंग के अनुसार राम -रावण युद्ध से पहले भगवान राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी और इस युद्ध मे राम ने दुर्गा पूजा के दसवें दिन रावण को मारा था, तभी से उस दिन को विजयादशमी कहा जाता है। इसलिए दुर्गा पूजा सदैव अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा बुरी शक्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। दुर्गापूजा अनीति, अत्याचार तथा तामसिक प्रवृत्तियों के नाश के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है।
बहुत जगह नवरात्र के दौरान गरबा और डांडिया खेल का भी आयोजन किया जाता है । जिसमे बहुत अच्छे तरीके से पारंपरिक रूप से खेला जाता है ।बच्चे बहुत उत्साहित रहते है और बुजुर्ग इस खेल को देख कर आनंद उठाते है । सभी जगह हर्षोल्ल्लास का महौल रहता है ।
बहुत से गांवों और शहरों में नाटक और रामलीला जैसे कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इन तीन दिनों में पूजा के दौरान लोग दुर्गा पूजा मंडप में फूल, नारियल, अगरबत्ती और फल लेकर जाते हैं और माँ दुर्गा का आशीर्वाद लेते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
पूजा के अंतिम दिन मूर्तियों का विसर्जन बड़े धूम-धाम से, जुलूस निकाल कर किया जाता है। नगर के विभिन्न स्थानों से प्रतिमा-विसर्जन के जुलूस निकाला जाता है और अंतिम में किसी तालाब या नदी में पर माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं।
Shardiya navratri wishes in hindi: शारदीय नवरात्रि में अपनों को शुभकामना का संदेश भेज कर बनाए खाश
सर्व मंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।
दिव्य है मां की आंखों का नूर,
संकटों को मां करती हैं दूर,
मां की ये छवि निराली
नवरात्रि में आपके घर लाए खुशहाली।।
Happy Navratri
लक्ष्मी का हाथ हो,
सरस्वती का साथ हो,
गणेश का निवास हो,
और माँ दुर्गा के आशीर्वाद से
आपके जीवन में प्रकाश ही प्रकाश हो…
Happy Navratri
नव कल्पना
नव ज्योत्सना
नव शक्ति
नव अराधना
नवरात्रि के पावन पर्व पर पूरी हो आपकी हर मनोकामना ।
शेर पर सवार होकर, खुशियों का वरदान लेकर
हर घर में विराजी अंबे मां, हम सबकी जगदंबे मां ।
देवी मां के कदम आपके घर आएं,
आप खुशी से नहाएं
परेशानियां आपसे आंखें चुराए।
जय माता दी ।
Happy Navratri
सारा जहां है जिसकी शरण में,
नमन है उस मां के चरण में,
हम हैं उस मां के चरणों की धूल,
आओ मिलकर मां को चढ़ाएं श्रद्धा के फूल।
शुभ नवरात्रि
नव दीप जलें, नव फूल खिलें
रोज मां का आशिर्वाद मिलें
इस नवरात्री आपको वो सब मिलें
जो आपका दिल चाहता है !
शुभ नवरात्रि
मां दुर्गा का रूप है अति सुहावन
इस नवरात्रि आप पर बरसे मां की कृपा
ख़ुशियां महके आपके घर-आंगन
नवरात्रि की शुभकामनाएं ।
शुभ नवरात्रि
जगत पालनहार है मां
मुक्ति का धाम है मां
हमारी भक्ति का आधार है मां
सबकी रक्षा की अवतार है मां।
माता रानी वरदान ना देना हमें,
बस थोड़ा सा प्यार देना हमें,
तेरे चरणों में बीते यह जीवन सारा,
एक बस यही आशीर्वाद देना हमें
आप सभी को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं
माता का जब पर्व आता है,
ढेरों खुशियां साथ है लाता
इस बार मां आपको वो सब कुछ दे
जो कुछ आपका दिल है चाहता है
नवरात्रि की शुभकामनाएं ।
लाल रंग की चुनरी से सजा है मां का दरबार,
हर्षित हुआ मन, पुलकित हुआ संसार,
नन्हें-नन्हें कदमों से मां आए आपके द्वार,
इस नवरात्रि यही हैं मां से पुकार।
मां शक्ति का वास हो,
संकटों का नाश हो,
हर घर में सुख-शांति का वास हो,
नवरात्रि का पर्व सबके लिए खास हो।
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