Maa Durga Aarti lyrics in Hindi। माँ दुर्गा आरती: आश्विन और चैत्र नवरात्रि में पढ़े ।जय अम्बे गौरी ,मैया जय श्यामा गौरी ।।

 

Maa Durga Aarti( माँ दुर्गा आरती) : आश्विन मास के  नवरात्रि में रोजाना करें मां अंबे की ये आरती आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी ।

जय अम्बे गौरी :माता दुर्गा (श्री दुर्गा जी ) की आरती

Maa Durga Aarti Lyrics(माँ दुर्गा आरती लिरिक्स): हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है।  नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करते हैं। मां दुर्गा का आह्वान करते हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। कहा जाता  है कि इन नौ दिनों में मां अंबे की विधि-विधान और भक्ति - भाव  से पूजा करने से माँ भगवती (दुर्गा) की कृपा से मन को विशेष शांति , साहस, शत्रुओं पर विजय , आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है ।नवरात्रि में मां दुर्गा के प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान के अलावा उनके प्रिय पकवानों का भोग  भी लगाया जाता है , ताकि माता रानी प्रसन्न होकर हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर दें। इसके अलावा रोजाना पूजा के दौरान मां दुर्गा चालीसा , कथा और माँ दुर्गा की आरती की जाती है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए रोजाना मां दुर्गा की आरती जरूर करें।


               मां दुर्गा की आरती

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

मैया जय अम्बे गौरी..


माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥
मैया जय अम्बे गौरी..


कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै॥

मैया जय अम्बे गौरी...

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥
मैया जय अम्बे गौरी...

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
मैया जय अम्बे गौरी...


शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥
मैया जय अम्बे गौरी...

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
मैया जय अम्बे गौरी....


ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी॥
मैया जय अम्बे गौरी....

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु॥
मैया जय अम्बे गौरी....


तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता॥
मैया जय अम्बे गौरी....

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी॥
मैया जय अम्बे गौरी...


कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥
मैया जय अम्बे गौरी...

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै॥
मैया जय अम्बे गौरी , 
मैया जय श्याम गौरी ।

         //इति श्री दुर्गा आरती सम्पूर्णम//

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