Essay on Ox।।बैल पर निबंध हिंदी में ।।

दोस्तो आज इस आलेख में हमलोग बैल के बारे में , बैल पर निबंध , किसान के लिए बैल की उपयोगिता  आदि को जानेंगे ।

बैल पर निबंध हिंदी में - Essay On Ox In Hindi Language


                             बैल पर निबंध 

प्राचीन काल से ही  जब  मनुष्य के पास बसें, मोटरगाड़ियां, रेलगाड़ी आदि नही थे, उस समय सामान ढोने तथा सवारी के लिए  बैलगाड़ी, घोड़ा गाड़ी, ऊंट गाड़ी तथा गधा आदि का प्रयोग किया जाता था। तो चलिए आज इसी विषय पर चर्चा करते हुए बैल (Ox)के बारे में जानेंगे ।

बैल की शारिरिक संरचना के बारे में


गाय का बछड़ा जब बड़ा हो जाता है और उसे जब बधिया(बचपन मे बैल बनाने की प्रक्रिया) कर दिया जाता है तब वयस्क होने पर उसे बैल कहते है ।बैल एक चौपाया (चार पैर) जानवर होता है ।इसे दो आंख दो कान , दो सिंग,एक पेट, तथा एक पूछ होता है ।

 ऐसा कहा जाता है जिस जानवर के पास सिंग होता है उसके काटने पर बिष नही लगता है । बैल देखने मे बड़ा ही मोहक एवं स्वामिभक्त जानवर होता है।  बैल अनेक रंगों का पाया जाता है - जैसे लाल, भूरा , काला, चितकबरे आदि रंगों में पाया जाता है ।बैल का औसत जीवन काल 25-30 वर्षो का होता है।


बैलों की प्रजाति

चूँकि बैल गाय की ही संतान होती है इस वजह से जैसे गायों में  प्रजाति होती है उसी तरह बैलों में भी प्रजाति हुआ करते हैं और गाय की प्रजाति से उत्पन्न हुए बैल की भी प्रजाति उनमें शामिल होती है। बहूत सारे राज्यो और स्थानीय जगहों के नाम पर भी बैल कर नाम है जैसे ----
देवनी बैल, गंगातिरी बैल, गाओलाओ बैल, घुमुसारी बैल, गिर बैल, हल्लीकर बैल, हरियाणा बैल, अमृतमहल बैल, बछौर बैल ,बद्री बैल, बरगुर बैल, बेलाही बैल, बिंझारपुरी बैल, डांगी बैल , कांकरेज बैल, केंकथा बैल, खरियार बैल ,केहरीगढ़ बैल, खिल्लर बैल ,लाल कंधारी बैल ,लाल सिंधी बैल, साहीवाल बैल, थारपारकर बैल, कोंकण कपिला बैल, कोसली बैल, कृष्णा घाटी बैल,लद्दाखी बैल,लखीमी बैल ,मलनाड गिद्दा बैल, ओंगोल बैल, पंवार बैल, पुलिकुलम बैल, पुंगनूर बैल, राठी बैल, छाता बैल,वेचुर बैल ,मालवी बैल,मावती बैल,मोटू बैल, नागोरी बैल ,निमारी बैल ,यह सभी प्रजातियां बैलों की प्रजातियों में शामिल है।


बैल की उपयोगिता


बैल को किसान का परम मित्र कहा जाता हैं। यह एक पालतू जानवर होने के साथ ही साथ खेत मे जुताई, माल ढुलाई तथा सवारी के प्रयोजन हेतु काम मे लिया जाता है । यह शरीर के साथ साथ बहुत मजबूत होता है जिससे वह भारी वस्तुओं को ढोने में इस्तेमाल किया जाता है।

भारत के कई गांवों में आज भी बैलगाड़ी देखी जा सकती हैं। कुछ  वर्षों में बैलों के उपयोग में काफी कमी देखी गईं हैं क्योंकि बैल के जगह अब छोटे -छोटे ट्रैक्टर बाजार में आ गए है । बैल को रखना भी आजकल महंगा पड़ रहा है क्योंकि चारा जैसे भूसा , चोकर, दाना, हरी घास आदि काफी महंगा हो गया है लेकिन अब भी कई शहरों में छोटे छोटे कामों के लिए बैलगाड़ी से माल ढुवाई आदि काम होता है।
कई तरह के मेलों और स्थानीय उत्सवों में लोग आने - जाने के लिए आज भी बैलगाड़ी का उपयोग करते है। बैल एक शाकाहारी पशु है।

हिंदू धर्म में गाय और बैल का बड़ा धार्मिक महत्व है, इन्हें पूजनीय माना गया है।  देश के कुछ स्थानों में आज भी बैल को पूजे जाते है ।जैसे आज भी बिहार में  दीपावली के एक दिन बाद बैल और गाय की पूजा की जाती है ।इस दिन बैल  और गाय सभी पशुओं को फूल , माला आदि से सजाया जाता है ।

आज के वर्तमान समय मे उन्नत कृषि यंत्रों के आविष्कार  हो जाने के कारण परम्परागत कृषि साधनों का उपयोग निरन्तर घटता जा रहा है।पहले के समय मे आपको हर किसान के दरवाजे पर एक या दो बैल आसानी से देखने को मिल जाता था । बैल हरे सूखे चारे को खाकर वह किसान के हर काम मे पूरा सहयोग करता हैं।

 गाय, बैल आदि के गोबर से भूमि के उपजाऊपन में मदद मिलती हैं। और इनकी गोबर से ही वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाता है जिसकी मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कभी कमी नही होती ।अच्छी फसल की पैदावार में बैल की जैविक खाद सहायक सिद्ध हो रही है  परन्तु आजकल पशु के कम होने से जैविक खाद की जगह कृत्रिम खाद बनाया और उपयोग किया जाता है जिसकी वजह से मृदा की शक्ति भी कम होती जा रही है ।

गाय तथा बैल के गोबर का प्रयोग आंगनों की लिपाई पुताई में होता है। संशोधन से पता चला है की गोबर में विटामिन बी 12 प्रचुर मात्रा में मौजूद है।

प्राचीन काल से ही  किसान अपने खेत जोतने, सिंचाई, ढुवाई  तथा तेल निकालने के लिए कोल्हू में बैल जैसे मजबूत जानवर और यदि कहा जाए तो समस्त कृषि गतिविधियों में बैल का उपयोग करता था इस कारण उसकी उपयोगिता थी,  मगर आजकल इन सब कार्यों को   मशीन की सहायता से कम समय और संसाधन में कार्य सम्पन्न कर लिया जाता है  जिसकी वजह से  बैलों को आवारा पशुओं की तरह छोड़ दिया जाता है।

 बैल को आवारा छोड़ देने से यह रास्तो,  सड़क पर टहलते रहते है  और खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुचाते है जो आजकल किसानों के लिए एक बड़ी समस्या हो गई है ।

हमलोगो ने बचपन में चौथी class में  हीरा -  मोती दो बैलों की कहानी  भी पढ़ी है जिसमे बैल अपने मालिक के प्रति कितना वफादार और स्वामिभक्त था उस कहानी को पढ़ने पर साफ झलकता है।

निष्कर्ष के रूप में या अंतिम रूप से यही कह  सकते है कि बैल के समान  स्वामिभक्ति और मेहनत करने में दूसरा कोई पशु  नही हैं। मगर वर्तमान समय में  आधुनिकीकरण होने की वजह से इसके महत्व को कम कर दिया गया और किसान भी अधिक खर्च की वजह से  बैल को पालना लगभग छोड़ रहे है ।

वर्तमान समय मे किसान को बैल जैसे पशुओं के महत्व को समझना चाहिए तथा उनकी देखभाल ठीक ढंग से की जानी चाहिए। उनके लिए गोशाला के तौर पर आवरपशुशाला बनवाना चाहिए जिससे उनकी स्तिथि में भी सुधार हो सके।  सरकार  तेज़ी से जैविक कृषि को फिर से अपनाने को कह रही है, ऐसे में कृषक भाईयों  को अपने सदियों पुराने साथी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए और उनके संरक्षण के लिए सरकार से मदद के लिए अपील करने चाहिए ।


बैल से कुछ FAQ

1. "आ बैल मुझे मार "लोकोक्ति का अर्थ क्या होता है?
जान बूझकर मुसीबत मोल ले लेना।

 2.बैल के पर्यायवाची शब्द बताए?
वृष, वृषभ, वलिवर्द, ऋषभ

3.बैल को अंग्रेजी में क्या कहते है?

बैल को अंग्रेजी में OX कहते है।

3. बैल का वैज्ञानिक नाम क्या है?

बैल का वैज्ञानिक नाम प्रिमिजिनियस टारस है।








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