Ganesh chalisa lyrics in hindi।।गणेश चालीसा ।।जय जय गणपति राजू मंगल

   गणेश चालीसा ( Ganesh Chalisa) Lyrics in Hindi


हर  बुधवार को करें गणेश चालीसा का पाठ, घर मे बनी रहेगी सुख-समृद्धि और मिलेगा शुभ फल


Ganesh Chalisa on Wednesday  यह हम सभी जानते है कि  गौरी पुत्र भगवान श्री गणेश सभी देवों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इसी वजह से  किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य की शुरुआत से पहले हमेशा गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

भगवान गणेश को एकदंत, लंबोदर, विघ्न नाश, विनायक और गजानन इत्यादि नामों से जाना जाता है।  भगवान गणेश की भक्ति और पूजा करने से इंसान को सभी सुखों की प्राप्ति होती है। विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश सभी कष्टों और परेशानियों को दूर करने वाले देव हैं। मान्यता है कि जहां भगवान गणेश का वास होता है, वहां पर रिद्धि, सिद्धि, शुभ और लाभ का वास भी होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश का पूजन करने से सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।

इसके नियमित पाठ से घर में सुख शांति रहती है, कोई भी गणेश जी के भक्त को नुकसान नहीं पहुंचा पाता। गणेश जी भक्त के शत्रुओं का विनाश कर देते हैं। शादी विवाह में कोई बाधा आ रही है तो गणेश चालीसा के पाठ से उसका भी निवारण हो जाता है, जबकि गणेश चालीसा के पाठ और गणपति की कृपा से बुध दोष भी दूर होता है। इसके अलावा धन प्राप्ति होती है, विद्या की प्राप्ति होती है और रोग दोष  भी दूर होते हैं।


हिंदू धर्म में भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना के लिए बुधवार का दिन तय किया गया है। यदि इस दिन पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश जी की पूजा की जाए तो जीवन की परेशानियों और समस्याओं का अंत हो जाता है। ऐसे बुधवार के दिन गणेश चालीसा का पाठ करने भगवान गणेश आपकी सभी बाधाओं को दूर करते है ।


सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बेहद पवित्र माना जाता  है। हर वर्ष यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गणेश चतुर्थी के अवसर पर घरों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती हैं, लगातार नौ दिनों तक उनका पूजन किया जाता है। दसवें दिन पूरे हर्षोउल्लास के साथ उन्हें विसर्जित कर दिया जाता है। विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा की जाती है।


मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश चालीसा का पाठ करना अत्यंत लाभदायक होता  है। हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से बुद्धि, धर्म, ज्ञान के दाता श्री गणेश भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। इसके साथ श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से भक्तों के जीवन में आ रही विघ्न-बाधाएं हमेशा के लिए दूर हो जाती हैं।


गणेश चालीसा (Ganesh chalisa lyrics in hindi)


                          दोहा


    जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।

      विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजाला।।


                                चौपाई     

 

                                                      
             जय जय जय  गणपति राजू।
         मंगल भरण करण शुभ काजू॥

           जय गजबदन सदन सुखदाता।
     विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

               वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन।।                   तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥


राजित मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता।
गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे।
मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी।
बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै।
पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥


बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं।
नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आए शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक देखन चाहत नाहीं॥

गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो।
उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥

कहन लगे शनि मन सकुचाई।
का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास उमा कर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी।
सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥

हाहाकार मच्यो कैलाशा।
शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए।
काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई।
रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी।
करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

    दोहा


श्री गणेश यह चालीसा
 पाठ करें धर ध्यान ।
 नित नव मंगल गृह बसै
 लहे जगत सन्मान॥

        सम्वत् अपन सहस्र दश                                   ऋषि पंचमी दिनेश।
         पूरण चालीसा  भयो
               मंगल मूर्ति गणेश॥


************गणेश चालीसा सम्पूर्णम************ 

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