समुद्र में स्तिथ मुरुड जजीरा किले का रहस्य जिसे आज तक कोई नही जीत पाया ।

 समुद्र में स्तिथ मुरुड जजीरा किले का रहस्य  जिसे आज तक कोई नही जीत पाया ।

दोस्तो आज हम एक किले के बारे में बात करेंगे जिसे जजीरा किला कहा जाता है ,

 जजीरा किला महाराष्ट्र के कोकण में रायगढ़ के निकट मुरुड गांव में स्थित है जजीरा अरबी शब्द जजीरा का अपभ्रंश है इसका अर्थ है टापू ।

अरब सागर में स्थित है एक ऐसा किला है जिसे शिवाजी और  मुगल से लेकर ब्रिटिश तक कोई भी नहीं जीत सका क्योंकी  इसकी बनावट ही ऐसी है कि इस पर कब्जे के लिए कई बार हमले हुए लेकिन कोई भी इस किले के अंदर घुस नहीं सका ।

 इस 350 वर्ष पुराने किले को अजिंक्य के नाम से भी जाना जाता है इसका शाब्दिक अर्थ है अजेय । 40 फीट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है और  अरब सागर में एक आइसलैंड पर बना हुआ है । इसका निर्माण अहमदनगर सल्तनत के मालिक अंबर के देखरेख में 15वीं सदी में हुआ था। 15वीं सदी में राजपुरी के मछुआरे ने खुद को समुद्री लुटेरों से बचने के लिए एक बड़ी चट्टान पर मेड कोर्ट नाम का लकड़ी का किला बनाया इस किले   को बनाने के लिए मछुआरों की मुखिया राम पाटिल ने अहमदनगर सल्तनत के निजाम शाह से इजाजत मांगी थी , बाद में अहमदनगर सल्तनत के थानेदार ने इस किले को खाली करने को कहा तो मछुआरे ने विरोध कर दिया फिर अहमदनगर के सेनापति परम खान एक व्यापारी बनकर सैनिकों से भरे तीन जहाज लेकर पहुंचे और किले पर कब्जा कर लिया फिर परम  खान के बाद अहमदनगर सल्तनत के नए सेनापति बरहन खान ने लकड़ी से बने मेड कोर्ट किले को तुड़वाकर वहां पत्थर के  किले बनवा दिया था । 

22 एकड़ में फैला हुआ है इसमें 22 सुरक्षा चौकिया है कहते कि ब्रिटिश और पुर्तगालियों सहित कई मराठा शासको ने जीतने का कई बार प्रयास किया था लेकिन उन्हें कभी भी कामयाबी नहीं मिली इसके लिए कितने ही शासको की कई टोपी अभी भी रखी हुई है जो हर सुरक्षा चौकी में आज भी मौजूद है इस किले पर 20  शासको ने राज किया अंतिम शासक सिद्दीकी मोहम्मद खान था इसका शासन खत्म होने के 330 वर्ष बाद 3 अप्रैल 1948 भारतीय सीमा में शामिल कर दिया गया।

 मरुद जंजीरा किले का दरवाजा दीवारों की आड़ में बनाया गया है जो किले से कुछ मीटर दूर जाने पर दीवारों के कारण दिखाई देना बंद हो जाता है यही वजह रही है कि दुश्मन किले के पास आने के बावजूद चकमा खा जाते हैं और किले में घुस नहीं पाते ।

 अनेक वर्ष बीत जाने के बाद भी  चारों ओर से अरब सागर से घिरे होने के बाद भी मजबूती से खड़ा है । जजीरा किले का परकोटा बहुत ही मजबूत है इसमें कुल तीन दरवाजे हैं दो मुख्य दरवाजे और एक चोर दरवाजा मुख्य दरवाजे में एक पूर्व की ओर राजपुरी गांव की दिशा में खुलता है तो दूसरा ठीक विपरीत दिशा में समुद्र की ओर खुलता है चारों ओर कुल 19 बुर्ज है प्रत्येक बुर्ज के बीच 90 फीट से अधिक का अंतर है जिले के चारों ओर 500 तोप रखे जाने का उल्लेख भी कहीं मिलता है इन तोपों में कलाल बंगड़ी लड़कसम और चावल यह तो पर आज भी देखने को मिलती हैं किले के बीचो-बीच एक बड़ा सफर कोटा है और पानी के दो बड़े तालाब है।

 पुराने समय में इसके लिए में एक नगर बसा हुआ था । राजपथ खत्म होने के बाद सारी बस्ती वहां से पलायन कर गई भारत के पश्चिमी तट पर यह एक मात्र ऐसा किला है जो दुश्मनों द्वारा कभी जीता नहीं गया।

 यह अकेला 350 साल पुराना है जिसमे मीठे पानी की झील है समुद्र के खारे पानी के बीच होने के बावजूद इसमें मीठा पानी आता है,और मीठा पानी कहां से आता है इस बात पर आज भी रहस्य कायम है इसमें शाह बाबा का मकबरा भी है जो अरब सागर में स्थित है। किला समुद्र तल से 90 फीट ऊंचा है इतिहास में यह किला जंजीरा के सीढ़ियां की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। 

गाड़ी से जाने पर  सबसे नजदीक मुंबई एयरपोर्ट पड़ता है जो यहां से 165 किलोमीटर दूर है। मुंबई के लिए सभी बड़े शहरों से फ्लाइट से यहां से आप अलीबाग के लिए बस ले सकते हैं  और स्टेट ट्रांसपोर्ट की कई बसें आपको स्टेशन से आसानी से मिल जाएंगे तो इस तरह से आप इस किले को घूम सकते हैं और इस ऐतिहासिक किले को देख सकते है। 

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